Nishad Vikas Sangh
निषाद विकास संघ की स्थापना भारत में निषाद वंशियों को शिक्षित और संगठित कर उन्हें सभी तरह के हक़ और अधिकार दिलाने के उद्देश से 2010 में की गई थी. भारत के मूलनिवासी होने के बावजूद निषाद अबतक सबसे ज्यादा उपेक्षित रहा है. आधुनिक गणतंत्र भारत के किसी सरकार ने अबतक निषादों की तरक्की के लिए कोई प्रयास नहीं किया है. इसका एक कारण यह भी रहा है कि अबतक देश के निषाद एकजुट नहीं थे.
निषाद विकास संघ के संस्थापक सन ऑफ़ मल्लाह श्री मुकेश सहनी ने निषादों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया था और संघ की स्थापना की. संघ का मुख्य उद्देश्य निषाद समाज को अपने हक और अधिकारों को पाने के लिऐ शिक्षित और संगठित करके सामाजिक जागरूकता पैदा करना, निषाद वशियों को आरक्षण दिलवाना, केन्द्र में मछुआरा आयोग बनवाना और अपने समाज के प्रतिनिधियों को राजनीति में ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सेदारी दिलवाना है.
निषाद विकास संघ, निषाद समाज को आरक्षण दिलाने के लिए बड़े स्तर पर लड़ाई लड़ रही है. संघ का प्रयास और संघ द्वारा चलाए जा रहे निषाद क्रांति का असर था कि दिसंबर 2016 में उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने निषाद समाज को SC में शामिल करने की अनुशंसा केंद्र सरकार से की. इसी तरह संघ ने बिहार सरकार को भी 24 घंटों के अंदर झूकाते हुए अपनी बात मनवा ली.
निषाद विकास ने अत्यंत कम समय में बिहार में जिला से पंचायत स्तर तक संगठन का विस्तार कर निषाद एकता को अत्यंत मजबूत किया. निषाद क्रांति के माध्यम से निषाद समाज के लोगों में जागरूकता लाने के लिए संघ दिन-रात प्रयासरत रहा है/है. निषाद क्रांति का असर रहा है कि 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के समय सभी राजनीतिक दलों ने ज्यादा-से-ज्यादा मात्रा में निषादों को टिकट दिया तथा संघ के प्रयास से निषादों विधायकों को सरकार में भी भागीदारी मिली. बिहार के बाद संघ ने उत्तर प्रदेश में भी दस्तक दी तथा निषाद क्रांति के माध्यम से निषाद समाज को एक सूत्र में बांध एकजुट करने का काम किया. निषाद क्रांति के प्रभाव से 2017 उत्तर प्रदेश चुनाव में अपार मात्रा में निषाद उम्मीदवार को टिकट दिया गया. संघ ने सभी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार कर उनकी जीत सुनिश्चित करने में अहम् भूमिका निभाई तथा 4 निषाद विधायक को मंत्रिमंडल में भी जगह दी गयी.
निषाद विकास संघ के कार्य, उद्देश्य तथा विचारधारा
1.जन-जागृति (अधिकारों, कर्तव्यों तथा कुरीतियों के प्रति)
2. शोषित तथा वंचित समाज को संगठित करना
3. आपसी भाईचारा (सामंजस्य) को बढ़ावा देना
4. आदर्शों तथा सिद्यांतों के प्रति निष्ठा रखना
5. शिक्षित समाज बनाने के उपाय
6. समाज में उचित भागीदारी सुनिश्चित करना
7. राजनीति में उचित भागीदारी सुनिश्चित करना
৪. आर्थिक संपन्नता के उपाय(रोजगार के अवसर पैदा करना, क्षमता के अनुसार रोजगार दिलाना)
9. मानव संसाधन का उचित इस्तेमाल सुनिश्चित करना
10. सभी सामाजिक व्यक्तियों के कार्यों को मान्यता प्रदान करवाना
11. उनके कार्यों हेतु उचित संसाधन उपलब्ध कराना/करवाना
12. व्यक्ति कौशल के विकास में सहायक घटकों का उचित क्रियान्वयन
13. संगठन निर्माण नेतृत्व क्षमता विकसित करने पर बल देना
14. संगठन के आतंरिक एवं बाह्य वातावरण के प्रभावों का अवलोकन, अध्ययन एवं नियन्त्रण
15. संगठन में कार्यरत व्यक्तियों, समूहों तथा संगठन के विभिन्न घटकों के व्यवहार तथा उनसे उत्पन्न प्रभावों तथा वातावरण के साथ उनकी अन्तक्रियाओं का अध्ययन कर संगठन को प्रभावी एवं उद्देश्यपरक बनाने के उपाय
16. निषाद समाज को एक सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं क्रांतिकारी संगठन बनाने का उद्देश्य
17. समाज में सभी के लिए समान अधिकार, समान अवसर पैदा कर समतामूलक समाज की स्थापना
18. निषाद समाज के युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित कर उनके मार्गदर्शन के उचित उपाय करना.
19. एक आदर्शवादी, कर्मठ तथा ईमानदार साथियों का संगठन जो सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक क्रांति के लिए कार्य करना तथा दूसरों को प्रोत्साहित करना
20. सांस्कृतिक तथा विरासत की रक्षा के साथ-साथ उज्जवल भविष्य निर्माण के सभी बिन्दुओं पर कार्य करना.
21. समाज में स्थापित बुराइयों एवं कुरीतियों को दूर करना
22. समाज में अंतरजातीय तथा सांप्रदायिक संघर्षों को रोकने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना.
23. सामाजिक एकता एवं भाईचारा बढ़ाने के सभी उपाय करना.